PM मोदी की दो टूक: भारत ने कभी मध्यस्थता नहीं मानी – ऑपरेशन सिंदूर पर बड़ा बयान
ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे”: ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी की ट्रंप को दो टूक
भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण क्षणों में हुए “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई एक अहम फोन बातचीत ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी। इस बातचीत की जानकारी भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विस्तार से साझा की, जिसमें यह बात सामने आई कि पीएम मोदी ने ट्रंप को बेहद साफ शब्दों में भारत की स्थिति बता दी — भारत ने न कभी किसी की मध्यस्थता स्वीकार की है, न करेगा।
यह फोन कॉल तब हुआ जब “ऑपरेशन सिंदूर” अपने निर्णायक चरण में था। पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की अपील के बाद, अमेरिका के तत्कालीन उपराष्ट्रपति जेडी वॉन्स ने पीएम मोदी से संपर्क किया। इसके बाद सीजफायर लागू हुआ। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के दौरान, भारत की नीति पूरी तरह स्पष्ट और स्वतंत्र रही। पीएम मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत-पाकिस्तान के मुद्दों पर अमेरिका से किसी तरह की ट्रेड डील या मध्यस्थता पर कोई बातचीत नहीं हुई थी।
मोदी ने ट्रंप से साफ शब्दों में कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते द्विपक्षीय हैं, और इन पर किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की राजनीतिक नेतृत्व एकमत है — यह भारत का आंतरिक और रणनीतिक विषय है, और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा।
इस फोन कॉल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत ने हमेशा क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दी है, लेकिन आतंकवाद या सीमा उल्लंघन के मामलों में भारत की नीति बेहद सख्त है। “ऑपरेशन सिंदूर” इसका उदाहरण है, जहां भारत ने मजबूती से जवाब दिया और फिर पाकिस्तान के आग्रह पर ही सीजफायर की पहल हुई — किसी दबाव या डील के तहत नहीं।
यह बातचीत G-7 सम्मेलन के दौरान होनी तय मुलाकात से पहले हुई थी। कनाडा के कनानैस्किस में आयोजित G-7 समिट में पीएम मोदी शामिल होने पहुंचे थे, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप को कार्यक्रम से जल्दी लौटना पड़ा, जिससे आमने-सामने की मुलाकात संभव नहीं हो पाई।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, इस कॉल में भारत की संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और स्पष्ट विदेश नीति की झलक साफ दिखती है। भारत यह संदेश देना चाहता था कि वह अपने पड़ोसी देश से रिश्तों को लेकर किसी भी बाहरी देश के दबाव या प्रस्ताव को नहीं मानेगा, चाहे वह अमेरिका जैसा ताकतवर देश ही क्यों न हो।
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