22 जनवरी 2025: जानिए रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ से जुड़ी खास बातें!

22 जनवरी 2025: जानिए रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ से जुड़ी खास बातें!
Spread the love

अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ: जानिए पूरी सटीक जानकारी

22 जनवरी 2025 को अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरे हो गए हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर राम भक्तों के बीच उत्साह की लहर है। हालांकि, यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 22 जनवरी को नहीं, बल्कि 11 जनवरी 2025 को ही मनाई जा चुकी है। आइए, जानते हैं कि इस महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी।


क्या है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा?

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है रामलला विग्रह की स्थापना और उसमें प्राण प्रतिष्ठित करना। यह अनुष्ठान भगवान राम के विग्रह में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवेश कराता है, जिससे वह पूजन योग्य बनता है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के राम मंदिर में भव्य समारोह के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। यह दिन ऐतिहासिक था, क्योंकि यह राम जन्मभूमि पर भक्तों की वर्षों की प्रतीक्षा का अंत था।


प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ क्यों नहीं मनाई गई 22 जनवरी को?

हिंदू पंचांग का महत्व

प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ को हिंदू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा जिस दिन हुई थी, वह पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि थी। हिंदू धर्म में तिथि आधारित उत्सवों का विशेष महत्व है। इस वर्ष पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 11 जनवरी 2025 को पड़ी, इसी कारण प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ 11 जनवरी को मनाई गई।

“प्रतिष्ठा द्वादशी” का आयोजन

11 जनवरी 2025 को “प्रतिष्ठा द्वादशी” के नाम से इस शुभ अवसर को मनाया गया। अयोध्या में इस दिन से लेकर 13 जनवरी तक तीन दिवसीय धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों ने भक्तों को एक बार फिर उस ऐतिहासिक पल का स्मरण कराया, जब रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी।

तीन दिवसीय आयोजन की मुख्य झलकियां

1. धार्मिक अनुष्ठान

11 जनवरी से 13 जनवरी तक अयोध्या में विशेष पूजा-अर्चना और यज्ञों का आयोजन किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार और हवन से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मंदिर परिसर में हजारों भक्तों ने पूजा में हिस्सा लिया और रामलला के दर्शन किए।

2. भजन-कीर्तन

इन तीन दिनों के दौरान प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा रामभक्तों के लिए भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। भजनों की मधुर ध्वनि ने भक्तों को रामभक्ति में लीन कर दिया।

3. सांस्कृतिक कार्यक्रम

रामायण से जुड़ी कथाओं पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों ने भगवान राम के जीवन और उनकी लीलाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।

4. प्रसाद वितरण

तीन दिवसीय उत्सव के दौरान मंदिर प्रबंधन द्वारा भक्तों को विशेष प्रसाद वितरित किया गया। इस आयोजन में लाखों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

5. दीपोत्सव

अयोध्या में दीपोत्सव का भी आयोजन किया गया, जहां हजारों दीयों से शहर को सजाया गया। यह दृश्य बेहद मनमोहक और अद्भुत था, जिसने भक्तों के दिलों को खुशियों से भर दिया।


एनजीओ की सफलता का डिजिटल रोडमैप

रामलला प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक महत्व

राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आयोजन भगवान राम के प्रति भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है।

  1. आध्यात्मिक दृष्टि से: प्राण प्रतिष्ठा के माध्यम से भगवान रामलला को पूजन योग्य विग्रह रूप में स्थापित किया गया।
  2. सांस्कृतिक दृष्टि से: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति विश्वव्यापी श्रद्धा को और अधिक बढ़ावा दिया।
  3. ऐतिहासिक दृष्टि से: यह आयोजन भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में जुड़ा है।

राम भक्तों की भावना

राम भक्तों के लिए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। पहली वर्षगांठ पर अयोध्या में उमड़े भक्तों का हुजूम यह साबित करता है कि भगवान राम का स्थान हर भक्त के दिल में कितना ऊंचा है।

निष्कर्ष

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ 22 जनवरी 2025 को नहीं, बल्कि हिंदू पंचांग के अनुसार 11 जनवरी 2025 को मनाई गई। इस शुभ अवसर पर अयोध्या में तीन दिवसीय भव्य आयोजन किया गया, जिसमें लाखों भक्तों ने हिस्सा लिया। यह आयोजन भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बना। अयोध्या की पवित्र भूमि एक बार फिर रामभक्ति के रंग में रंगी और इस ऐतिहासिक पल को सभी ने हर्षोल्लास के साथ मनाया।

campaign24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *