हैदराबाद यूनिवर्सिटी विवाद: कनचा गच्चीबौली वन कटाई पर बवाल, क्यों घिरी रेवंत रेड्डी सरकार?

हैदराबाद यूनिवर्सिटी विवाद: कनचा गच्चीबौली वन कटाई पर बवाल, क्यों घिरी रेवंत रेड्डी सरकार?
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ताज़ा विवाद: क्या है पूरा मामला?

तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद यूनिवर्सिटी से सटे 400 एकड़ भूमि की नीलामी की घोषणा के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह भूमि कनचा गच्चीबौली क्षेत्र में स्थित है, जिसे राज्य सरकार “राजस्व रिकॉर्ड” में वेस्टलैंड (पोरेम्बोक भूमि) बता रही है। लेकिन छात्र, पर्यावरणविद, विपक्षी दल और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी इस कदम के खिलाफ खड़े हो गए हैं।

क्यों उठ रही है चिंता?

यह क्षेत्र न केवल जैव विविधता से भरपूर है, बल्कि यहाँ 734 प्रकार के फूलों वाले पौधे, 237 पक्षियों की प्रजातियाँ, 15 प्रकार के सरीसृप, और दुर्लभ इंडियन स्टार टॉर्टॉइज़ पाए जाते हैं। इसके अलावा, मशरूम रॉक्स, पीकॉक लेक, और बफेलो लेक जैसे वेटलैंड इकोसिस्टम भी इस भूमि में आते हैं।

न्यायपालिका का हस्तक्षेप

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए, सभी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि आदेशों की अवहेलना की गई, तो राज्य के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
  • तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी इस जमीन पर सभी गतिविधियों पर रोक बढ़ा दी है और अगली सुनवाई 7 अप्रैल को तय की है।

हैदराबाद यूनिवर्सिटी विवाद: क्या विकास की आड़ में पर्यावरण का बलिदान हो रहा है?

सरकार का पक्ष

राज्य सरकार का कहना है कि:

  • यह भूमि राज्य सरकार की स्वामित्व वाली है, न कि यूनिवर्सिटी की।
  • 2004 में यूनिवर्सिटी को बदले में 397 एकड़ भूमि गोपनपल्ली गाँव में दी गई थी
  • यहां विकास से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
  • कुछ राजनीतिक ताकतें छात्रों को भ्रमित कर रही हैं।

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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. क्या यह भूमि यूनिवर्सिटी की है?

➡️ नहीं, सरकार का दावा है कि यह “पोरेम्बोक” यानी वेस्टलैंड है, जिसे पहले भी अन्य प्रोजेक्ट्स को दिया जा चुका है।

Q2. पर्यावरणविद क्यों विरोध कर रहे हैं?

➡️ यह क्षेत्र जैव विविधता का एक अहम केंद्र है। यहां पेड़ काटे जा रहे हैं, वेटलैंड्स को नुकसान हो रहा है, और जंगली जानवरों का निवास खत्म हो रहा है।

Q3. सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया है?

➡️ कोर्ट ने जमीन पर सभी गतिविधियों को तुरंत रोकने के आदेश दिए हैं जब तक पर्यावरणीय मूल्यांकन नहीं हो जाता।

Q4. छात्र क्या चाहते हैं?

➡️ छात्र मांग कर रहे हैं कि यह भूमि यूनिवर्सिटी को वापस सौंपी जाए और इसे एक इको-पार्क के रूप में संरक्षित किया जाए।

Q5. क्या कोई समाधान निकला है?

➡️ सरकार ने एक मंत्रियों की समिति गठित की है जो सभी पक्षों से बातचीत करके हल निकालेगी।


क्यों काटा जा रहा है जंगल?

  • इस क्षेत्र को आईटी हब और रियल एस्टेट डेवलपमेंट के लिए नीलाम किया जा रहा है।
  • तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन (TGIIC) इस क्षेत्र को प्राइवेट कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया में है।
  • सरकार का उद्देश्य यहां विकास कार्य करना है, लेकिन यह पर्यावरण की कीमत पर हो रहा है।

छात्र और समाज का समर्थन

  • यूनिवर्सिटी के छात्रों, प्रोफेसरों, और पर्यावरणविदों ने मिलकर इस भूमि की रक्षा के लिए आंदोलन छेड़ दिया है
  • फिल्म सितारे जैसे रश्मिका मंदाना, दिया मिर्जा, रवीना टंडन आदि ने भी समर्थन जताया है।

निष्कर्ष

कनचा गच्चीबौली का यह विवाद केवल एक भूमि विवाद नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण बनाम विकास के बीच संतुलन की लड़ाई है। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप छात्रों और पर्यावरण के लिए राहत भरा है, लेकिन असली समाधान सभी पक्षों के बीच संवाद और समझदारी से ही निकलेगा।

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