इतिहास की डिजिटल विरासत: यूनेस्को की Memory of the World रजिस्ट्री तक कैसे पहुँचें?

इतिहास की डिजिटल विरासत: यूनेस्को की Memory of the World रजिस्ट्री तक कैसे पहुँचें?
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प्रस्तावना: इतिहास की धड़कनों को संजोने का प्रयास

एक पांडुलिपि, एक ऐतिहासिक चित्र, एक धुंधली ऑडियो रिकॉर्डिंग — कभी सोचा है कि इन सब में क्या छिपा होता है? ये केवल काग़ज़ या ध्वनि नहीं हैं, बल्कि वो धड़कती हुई धरोहर हैं जिनमें मानवता के विचार, क्रांति, संस्कृति और विज्ञान की झलक मिलती है। यूनेस्को का Memory of the World कार्यक्रम इन्हीं अनमोल धरोहरों को न केवल संरक्षित करता है, बल्कि उन्हें दुनिया भर के नागरिकों के लिए सुलभ भी बनाता है।


Memory of the World — विचार की उत्पत्ति और इतिहास

1992: जब विचार को आकार मिला

यूनेस्को ने 1992 में Memory of the World (MoW) प्रोग्राम की नींव रखी। उद्देश्य स्पष्ट था — ऐसे दस्तावेज़ों, अभिलेखों और ऑडियोविजुअल सामग्री को चिन्हित और संरक्षित करना जो मानवता के इतिहास में विशेष महत्व रखते हैं।

लक्ष्य:

  • वैश्विक डॉक्यूमेंटरी हेरिटेज की सुरक्षा।
  • डिजिटाइजेशन और सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना।

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शुरुआती योगदान: एक वैश्विक सहयोग

पहले ही दशक में ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड्स, मिस्र और कोरिया जैसे देशों ने अपने ऐतिहासिक दस्तावेज़ों को नामांकित कर रजिस्ट्री को एक वैश्विक रंग देना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे तकनीक ने रफ्तार पकड़ी, वैसे-वैसे इस प्रयास को भी डिजिटल रूप मिला।


रजिस्ट्री में क्या होता है शामिल?

डॉक्यूमेंट्री हेरिटेज की परिभाषा

डॉक्यूमेंट्री हेरिटेज का आशय है ऐसे अभिलेखीय या लाइब्रेरी दस्तावेज़ जो मानव अनुभव और समाज के विकास में महत्वपूर्ण रहे हों। ये निम्नलिखित रूप में हो सकते हैं:

  • पांडुलिपियाँ और पुरानी पुस्तकें
  • ऐतिहासिक पत्र और घोषणाएँ
  • धर्मग्रंथों की मूल प्रतियाँ
  • ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग
  • चित्र और नक़्शे
  • डिजिटल डेटा और कोड

नामांकन की प्रक्रिया

हर देश अपने राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को MoW रजिस्ट्री में नामांकित कर सकता है। इसके लिए एक तकनीकी मूल्यांकन, संरक्षण रिपोर्ट और सार्वजनिक महत्त्व का विश्लेषण आवश्यक होता है।


वैश्विक परिदृश्य — कौन-कौन से दस्तावेज़ हैं शामिल?

उल्लेखनीय उदाहरण

  1. Magna Carta (1215), ब्रिटेन — लोकतंत्र की नींव मानी जाने वाली घोषणा।
  2. Anne Frank’s Diary, नीदरलैंड्स — द्वितीय विश्व युद्ध की मानवता पर टिप्पणी।
  3. Rigveda Manuscript, भारत — विश्व के सबसे प्राचीन ज्ञात धर्मग्रंथों में से एक।
  4. Nelson Mandela Papers, दक्षिण अफ्रीका — रंगभेद विरोध की प्रमुख आवाज़।

2025 तक की स्थिति

  • कुल दस्तावेज़: 550+
  • देशों की भागीदारी: 130+
  • रजिस्टर्ड नेशनल MoW प्रोग्राम: 90+

डिजिटलीकरण और सार्वजनिक पहुँच

UNESCO की डिजिटल नीति

यूनेस्को प्रत्येक रजिस्टर्ड दस्तावेज़ का डिजिटलीकरण करवा रहा है ताकि ये सामग्री शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हो सके।

कैसे एक्सेस करें?

  1. Website: https://www.unesco.org/memoryoftheworld
  2. Search Filters: देश, विषय, तिथि के अनुसार।
  3. Format: पीडीएफ, इंटरैक्टिव व्यूअर, वीडियो क्लिप्स, 3D स्कैनिंग।

भारत और MoW — अपनी विरासत को वैश्विक मंच पर लाना

भारतीय दस्तावेज़ जो रजिस्ट्री में शामिल हैं

दस्तावेज़संग्रहालय / संस्थानवर्ष
ऋग्वेद की पांडुलिपिBhandarkar Oriental Research Institute2007
ताजमहल निर्माण रिपोर्टASI, आगरा2010
नेताजी की रेडियो रिकॉर्डिंगAll India Radio Archives2012
मुग़ल कालीन राजपत्रNational Archives of India2018

भारत का लक्ष्य: अगले 5 वर्षों में कम से कम 25 नए दस्तावेज़ों को नामांकित करना।


विशेषज्ञों की राय

“डिजिटल युग में जब सूचनाएं पल भर में गायब हो सकती हैं, ऐसे में Memory of the World जैसी पहलें मानवता की असल पहचान को बचा कर रखती हैं।”
डॉ. अरुणा शर्मा, आर्काइव्स एक्सपर्ट, दिल्ली विश्वविद्यालय

“इतिहास सिर्फ किताबों में नहीं होता, वह उन दस्तावेज़ों में होता है जिन्हें हमने कभी अनदेखा कर दिया।”
मार्क विलियम्स, UNESCO Cultural Archivist


आँकड़ों की नजर से

  • MoW में डिजिटाइजेशन सफलता दर: 70%
  • सबसे अधिक नामांकित देश: चीन, कोरिया, जर्मनी
  • 2023-24 में UNESCO को प्राप्त नामांकन: 110+
  • भारत से नए नामांकन (2025 प्रस्तावित): Constitution Drafts, Nalanda Scrolls, Gandhi Letters

भविष्य की दिशा — डिजिटल आर्टिफैक्ट्स और AI का रोल

अब सवाल उठता है: क्या केवल पुरानी सामग्री ही दस्तावेज़ी विरासत है? जवाब है नहीं।

UNESCO अब आधुनिक डिजिटल आर्टिफैक्ट्स जैसे:

  • कोड बेस
  • डिजिटल मैपिंग
  • सोशल मीडिया डॉक्यूमेंटेशन
    …को भी दस्तावेज़ी हेरिटेज के रूप में मानने की दिशा में काम कर रहा है।

AI आधारित रिस्टोरेशन, डेटा ऑथेंटिकेशन और ऑटो-ट्रांसलेशन भी अब इस कार्य का हिस्सा हैं।


छात्र, शोधकर्ता और नागरिक कैसे जुड़ें?

क्या आप भी किसी दस्तावेज़ को नामांकित करना चाहते हैं?

यदि आपके पास कोई दुर्लभ दस्तावेज़ है, तो आप निम्नलिखित प्रक्रिया अपना सकते हैं:

  1. MoW National Committee से संपर्क करें।
  2. दस्तावेज़ का मूल्यांकन करवाएं।
  3. यूनेस्को फॉर्म भरें और तकनीकी रिपोर्ट संलग्न करें।

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यादों को बचाने का वैश्विक प्रयास

UNESCO की Memory of the World रजिस्ट्री केवल दस्तावेज़ों की सूची नहीं है — यह मानवता के विचारों, खोजों, संघर्षों और उम्मीदों की वैश्विक बही-खाता है। यह प्रयास हमें यह याद दिलाता है कि जो खो गया, वह फिर से नहीं लिखा जा सकता, पर जो बचा लिया गया — वह आने वाली पीढ़ियों को दिशा दे सकता है।



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