1. भारत की सक्रिय भागीदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने 7 वर्षों बाद चीन का दौरा किया और SCO मंच पर भारत की भूमिका को “सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर” की त्रयी से परिभाषित किया।
2. उद्घाटन सत्र में मोदी का संदेश
उन्होंने अपने संबोधन में आतंकवाद विरोध, क्षेत्रीय स्थिरता और बहुपक्षीय सहयोग को भारत की प्राथमिकताओं के रूप में रखा।
3. चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता
शी जिनपिंग के साथ मुलाकात में सीमा शांति, कनेक्टिविटी, मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानों पर चर्चा हुई। सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने पर भी जोर दिया गया।
4. SCO में चीन का नया आर्थिक एजेंडा
शी जिनपिंग ने SCO विकास बैंक की घोषणा की और अगले तीन वर्षों के लिए 1.4 अरब डॉलर की फंडिंग का वादा किया। साथ ही “शीत युद्ध मानसिकता” और “बुल्लींग” की आलोचना की।
5. मोदी–पुतिन बैठक
दोनों नेताओं ने ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, उर्वरक, अंतरिक्ष और सांस्कृतिक सहयोग पर विस्तृत चर्चा की। मोदी ने कहा—“भारत और रूस हमेशा कठिन समय में साथ खड़े रहे हैं।”
6. यूक्रेन संघर्ष पर शांति पहल
मोदी ने स्थायी समाधान के लिए शांति प्रयासों का समर्थन किया, जबकि पुतिन ने NATO विस्तार को शांति के रास्ते में बाधा बताया।
7. रिश्तों की गर्मजोशी
पुतिन ने मोदी को “प्रिय मित्र” कहकर संबोधित किया और दोनों देशों के संबंधों को “विशेष एवं विशिष्ट रणनीतिक साझेदारी” बताया।
8. SCO का वैश्विक दृष्टिकोण
इस शिखर सम्मेलन ने स्पष्ट किया कि SCO अब सिर्फ़ सुरक्षा मंच नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और बहुपक्षीय संतुलन की दिशा में उभरता हुआ वैश्विक संगठन है।
9. मीडिया और सोशल मीडिया प्रभाव
मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुस्कुराहट और सौहार्दपूर्ण मुलाकातों ने सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेश फैलाया और SCO की छवि को और मजबूत किया।
10. भारत की रणनीतिक स्वायत्तता
भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी विदेश नीति “राष्ट्रहित सर्वोपरि” पर आधारित है। SCO को पश्चिमी दबदबे के विकल्प के रूप में भारत एक संतुलित मंच मानता है।
निष्कर्ष
SCO Summit 2025 ने भारत को एक ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया है, जहां वह पूर्व और पश्चिम के बीच संतुलन साधने वाले नेता के रूप में देखा जा रहा है। पीएम मोदी की यह यात्रा न केवल भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत का संकेत है, बल्कि भारत-रूस साझेदारी को और मज़बूत करने वाली भी साबित हुई।


