ट्रंप की Zero Tariff Deal: भारत–अमेरिका ट्रेड डील पर क्या होगा असर?
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✅ जीरो टैरिफ डील क्या है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीरो टैरिफ डील उस समझौते को कहा जाता है, जिसके तहत अमेरिका किसी देश के बाज़ार में बिना किसी टैरिफ के पहुँच बनाता है, लेकिन उस देश से आने वाले सामान पर अमेरिका टैरिफ लगाता है।
इसी मॉडल के तहत ट्रंप ने इंडोनेशिया के साथ एक ट्रेड डील की, जिसके बाद अब भारत के साथ भी ऐसी डील की चर्चा तेज़ हो गई है।
🌏 इंडोनेशिया और अमेरिका की जीरो टैरिफ डील
ट्रंप ने हाल ही में इंडोनेशिया के साथ समझौता किया। इस डील के मुख्य पॉइंट इस प्रकार हैं–
- अमेरिका को इंडोनेशिया के बाजार में शून्य टैरिफ (Zero Tariff) पर पहुंच मिली।
- इसके बदले इंडोनेशिया को अमेरिका में अपना सामान 19% टैरिफ देकर भेजना होगा, जो पहले सिर्फ 10% था।
- अमेरिका ने इंडोनेशिया पर दबाव डालते हुए पहले 32% टैरिफ की धमकी दी थी, लेकिन बातचीत के बाद इसे 19% पर तय किया गया।
- इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर के एनर्जी प्रोडक्ट्स, 50 बोइंग जेट और 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद खरीदने का वादा भी किया।
इस तरह इंडोनेशिया ने अमेरिका के दबाव में आकर एकतरफा फायदे वाला समझौता कर लिया।
🇮🇳 भारत के लिए संकेत – अगली बारी भारत की?
ट्रंप ने कहा है कि भारतीय बाजारों तक जल्द ही अमेरिकी कंपनियों की पहुंच होगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत के साथ होने वाला समझौता भी इंडोनेशिया की तरह हो सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच लगातार बातचीत चल रही है। ट्रंप प्रशासन भारत पर दबाव डाल रहा है कि–
✅ अमेरिकी कृषि और एनर्जी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम किया जाए।
✅ अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोला जाए।
वहीं, भारत अपनी ओर से यह साफ कर चुका है कि–
- डेयरी और चावल जैसे सेक्टर को वह डील से बाहर रखेगा।
- अमेरिकी कृषि उत्पादों पर कुछ हद तक टैरिफ कम किया जा सकता है।
- ऑटोमोबाइल और डेयरी सेक्टर में भारत सख्त रुख रखेगा।
📊 भारत पर संभावित असर
अगर भारत और अमेरिका के बीच यह जीरो टैरिफ डील होती है तो–
🔹 भारत को अमेरिकी बाजार में 15–20% टैरिफ के साथ प्रवेश मिलेगा, जो कि अन्य देशों (म्यांमार–40%, बांग्लादेश–35%) की तुलना में बेहतर होगा।
🔹 हालांकि, भारतीय कंपनियों को अमेरिकी उत्पादों से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ सकती है, क्योंकि अमेरिकी सामान भारत में बिना टैरिफ के आ सकेगा।
🔹 ट्रंप ने इसके लिए 1 अगस्त की टैरिफ डेडलाइन भी तय की है, यानी भारत को जल्दी फैसला लेना होगा।
📌 भारतीय उद्योगों पर असर और अवसर
असर:
- इंडोनेशिया की तरह अगर भारत भी अमेरिकी दबाव में जीरो टैरिफ डील साइन करता है तो घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ सकता है।
- खासकर टेक्सटाइल, कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर में चुनौती बढ़ेगी।
अवसर:
- कम टैरिफ के साथ अमेरिकी बाजार में भारत को अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का बड़ा मौका मिलेगा।
- कपड़ा और केमिकल जैसे सेक्टर में भारत को फायदा हो सकता है क्योंकि अन्य देशों पर भारी टैरिफ लगेगा।
🔥 क्या कहता है भारतीय पक्ष?
भारतीय वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने साफ कहा है कि भारत अमेरिकी बाज़ार तक पहुंच जरूर चाहता है, लेकिन बेहतर शर्तों पर।
जल्द ही वॉशिंगटन में इस पर उच्चस्तरीय बैठक होगी।
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