हिमाचल-उत्तराखंड में बारिश, बाढ़ और बादल फटने से तबाही: मंडी में सबसे ज़्यादा नुकसान, 406 सड़कें बंद

हर साल मानसून के समय हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तबाही की एक जैसी कहानी दोहराई जाती है—बाढ़, बादल फटना, भूस्खलन और जन-धन का बड़ा नुकसान। इस साल 2025 भी इससे अछूता नहीं रहा। हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश ने कहर मचा दिया है। पिछले 24 घंटों में प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश हुई, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
प्रदेश में अब तक कुल 16 जगहों पर बादल फटने, तीन स्थानों पर अचानक बाढ़ आने और कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं में अब तक करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 34 लोग अभी भी लापता हैं। बीते 11 दिनों में भारी बारिश से राज्य को 356.67 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
हिमाचल का मंडी जिला इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है। मंडी में बीते 32 घंटे में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने 316 लोगों को रेस्क्यू किया है। अकेले मंडी जिले में 10 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है और बुनियादी ढांचे को भी गहरी चोट पहुंची है।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पूरे राज्य में इस समय 406 सड़कें बंद हैं। इनमें सबसे अधिक 248 सड़कें मंडी जिले में बंद हुई हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 55, कुल्लू में 37, शिमला में 32, सिरमौर में 21, चंबा में 6, ऊना में 4, सोलन में 2 और हमीरपुर व किन्नौर में 1-1 सड़क प्रभावित है। इससे पूरे प्रदेश में यातायात और आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है।
इतना ही नहीं, 1,515 बिजली वितरण ट्रांसफार्मर ठप हो चुके हैं, जिनमें से 994 अकेले मंडी जिले में हैं। साथ ही राज्य की 171 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हो गई हैं, जिससे हजारों लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है।
हिमालयी राज्य की यह आपदा केवल प्राकृतिक नहीं है, बल्कि इसमें इंसानी लापरवाहियों का भी बड़ा हाथ है। अंधाधुंध निर्माण, पहाड़ों की कटाई, अवैज्ञानिक टूरिज्म और पर्यावरणीय उपेक्षा ने इन राज्यों को बेहद संवेदनशील बना दिया है। मौसम वैज्ञानिक लगातार चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन व्यवस्थाएं हर बार की तरह कमज़ोर साबित होती हैं।
अब वक्त है कि सरकारें इस क्षेत्र को सिर्फ पर्यटन और निर्माण का ज़रिया न समझें, बल्कि इसे पर्यावरणीय संतुलन और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा से जोड़कर देखें। वरना हिमालय हर साल इंसानों से अपना हिसाब मांगता रहेगा — और तबाही की यह कहानी बार-बार दोहराई जाती रहेगी।
Nagpur Violence Over Aurangzeb Tomb Row: Curfew Imposed, Tensions Rise – Campaign24
