पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका: पहलगाम आतंकी हमला और ट्रंप टैरिफ

2024 और 2025 पाकिस्तान के लिए आर्थिक मोर्चे पर बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं। एक तरफ जहां अमेरिकी ट्रंप टैरिफ से पाकिस्तान के निर्यात को गहरा आघात पहुंचा, वहीं दूसरी ओर, कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने पाकिस्तान के शेयर बाजार और मुद्रा प्रणाली को हिलाकर रख दिया। इन दोनों घटनाओं का संयुक्त असर पाकिस्तान की पहले से ही डगमगाती अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहा है।
पहलगाम आतंकवादी हमला: पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव
22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 से अधिक लोगों की जान चली गई। यह हमला ऐसे समय पर हुआ जब कश्मीर में पर्यटन चरम पर था। इस घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर हमला प्रायोजित करने का आरोप लगाया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव तेजी से बढ़ गया।
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भारत ने इस हमले के जवाब में कई कठोर कदम उठाए:
- पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए गए
- 1960 का सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया गया
- भारत में पाकिस्तान के राजनयिक संपर्क सीमित किए गए
इन कदमों के बाद पाकिस्तान में डिप्लोमैटिक और इकोनॉमिक पैनिक का माहौल बन गया।
पाकिस्तान शेयर बाजार में हाहाकार
पहलगाम हमले के तुरंत बाद पाकिस्तान के शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई।
- 23 अप्रैल को PSX इंडेक्स 1300 अंकों से गिरकर 1.17 लाख पर बंद हुआ
- 24 अप्रैल को गिरावट और भी गहरी हो गई और PSX 2200 अंकों से अधिक गिरा, यानी करीब 1.8% की गिरावट
विशेषज्ञों की राय:
- यूसुफ एम. फारुक, (डायरेक्टर, डॉन चेज सिक्योरिटीज):
“भारत-पाक तनाव के कारण बाजार में गिरावट आई है। भविष्य की दिशा इन दोनों देशों के संबंधों पर निर्भर है।” - सना तौफीक, (हेड ऑफ रिसर्च, आरिफ हबीब लिमिटेड):
“रुपए की कमजोरी भी बाजार में गिरावट का बड़ा कारण है।”
पाकिस्तानी रुपए की गिरती कीमत: निवेशकों का भरोसा डगमगाया
फिच रेटिंग एजेंसी के अनुसार, जून 2025 तक पाकिस्तानी रुपया USD के मुकाबले 285 के स्तर तक गिर सकता है। मुद्रा की यह कमजोरी पाकिस्तान के आयात को महंगा बना रही है और विदेशी निवेशक भी इससे पीछे हट रहे हैं।
IMF का अनुमान:
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की विकास दर (GDP ग्रोथ) को घटाकर 2.6% कर दिया है, जो कि देश की गिरती अर्थव्यवस्था का साफ संकेत है।
ट्रंप टैरिफ: निर्यात पर कहर
दूसरी ओर, अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव भी पाकिस्तान के लिए भारी पड़ रहा है। ट्रंप टैरिफ के तहत अमेरिका ने पाकिस्तान से आने वाले वस्तुओं पर 29% पारस्परिक ड्यूटी और 10% बेसलाइन टैक्स, कुल मिलाकर 39% टैक्स लगाने की घोषणा की है। हालांकि यह टैरिफ 10 अप्रैल से लागू होना था, लेकिन फिलहाल टल गया है।
पाकिस्तान के निर्यात पर असर:
- पाकिस्तान का अमेरिका को कुल निर्यात (2024): $5.4 अरब
- इसमें सबसे बड़ा हिस्सा टेक्सटाइल्स (वस्त्र उद्योग) का है
विशेषज्ञों की रिपोर्ट:
- लाहौर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE):
“ट्रंप टैरिफ के कारण पाकिस्तान को अगले पांच सालों में लगभग $4.2 अरब का नुकसान हो सकता है।” - डॉ. मोहम्मद जीशान, (पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स):
“इस टैरिफ के कारण सालाना $1.1 अरब से $1.4 अरब का घाटा हो सकता है। साथ ही, 5 लाख नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है।”
भारत और बांग्लादेश की तुलना में पाकिस्तान की स्थिति कमजोर
जहां पाकिस्तान पर अमेरिका ने भारी टैक्स लगाया है, वहीं भारत और बांग्लादेश के टेक्सटाइल निर्यात पर कर की दरें काफी कम हैं। इस कारण इन देशों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है, और पाकिस्तान की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को और गहरा झटका लग रहा है।
आगे की राह: पाकिस्तान को क्या करना चाहिए?
पाकिस्तान के सामने अब कई बड़े फैसले लेने की चुनौती है:
- राजनयिक स्तर पर तनाव कम करना – भारत के साथ तनाव बढ़ने से न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की छवि भी खराब हो रही है।
- व्यापार नीतियों में लचीलापन – अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते पर पुनर्विचार कर निर्यात को बचाने की जरूरत है।
- आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू करना – IMF की शर्तों के अनुरूप वित्तीय अनुशासन बनाए रखना और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए पारदर्शिता लाना जरूरी है।
- स्थिरता और सुरक्षा – आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करना जरूरी है ताकि आतंकी गतिविधियों पर रोक लगे और विदेशी निवेशकों का भरोसा लौटे।
निष्कर्ष: दोहरे संकट में फंसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
पहलगाम में आतंकवादी हमला और अमेरिका का ट्रंप टैरिफ – इन दोनों घटनाओं ने पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। जहां एक ओर निवेशक भरोसा खो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आम जनता पर भी इसका असर साफ देखा जा रहा है। आने वाले महीने पाकिस्तान के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इस संकट से बाहर निकलने के लिए मजबूत नीतियों, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आंतरिक स्थिरता की सख्त जरूरत होगी।
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